Kavayanjali: Celebrating the Art of Poetic Dedication
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Abstract
प्रवासी साहित्य की दुनिया मे ं स्नेह ठाकुर एक दमदार रचनात्मक पहचान है।ं अपने देश भारत स े दूर सात समन्दर पार होकर भी उनकी रचनाओं में भारत, रचा-बसा है, घुला-मिला हुआ है। भौगोलिक दूरी या अलगाव भावनात्मक लगाव केा कम नही ंकर पाया है। उनमे ं और उनकी रचनाओ ं में भरपूर सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक, मार्मिक स्पेस पाया है। भारतीय परंपराआंे के प्रति सजग एवं जागरूक कलाकार के रूप मे ं भारत उनके भीतर और उनकी रचनाओं के भीतर सदैव जीवित रहता है। भारतीयता की चासनी मे ं डालकर अपनी रचनाओ ं मे ं भारतीय परम्परा, सस्ं कृति की मिठास का े डाला है। हिन्द की पहचान हिन्दी से जुड़कर उनकी कविताएं भारतीय फ्लवे र, तेवर और क्लवे र का े एक अलग अदं ाज मे ं रचनात्मक रूप मं े प्रस्तुत करती हं।ै‘जीवन के रंग’, ‘जीवन निधि’, ‘जज्बातां े का सिलसिला’, ‘अनुभूतियाँ’, ‘काव्यांजलि’ आदि प्रमुख काव्य-सगं ्रह मे ं कवयित्री ने भारतीयता का ताना-बाना, भारतीय मूल्य, भारतीय दर्शन, भारतीय परंपरा, भारतीय सस्ं कृति की खुशबु स े काव्य संग्रह सुगंधित हैं। तरह-तरह के फूल के साथ जीवन के धलू भी है,ं वसूल भी है,ं भारत की ध्ूाल भी है, पर साथ ही साथ विरूद्धों के सामजं स्य और जीवन वैभिन्य के दर्शन के अनुरूप फूल के साथ-साथ काटं े भी है।ं जीवन की पगडंडियों से गुजरकर सुखदुखात्मक रस की अनुभूतियो ं के प्रकाशन मे ं वो साथ वे रचना का े समर्पण करती हैं।
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